खोया लम्हा
कितनी अनकही बातों में
कुछ धुंधली सी यादों में
कुछ भूले बिसरे ख्वाबों में
ये लम्हा कही खो सा गया।
कभी न मिटती दुनिया में
कही न सिमटते आकाश में
मेरी कुछ मजबूरियों में
तुम्हारे कुछ ऐतराज़ में
ये लम्हा कही खो सा गया।मेरे बेचैन सवालों में
तुम्हारे खामोश जवाबों में
बारिश की मचलती बूंदों में
दरगाह के कच्चे धागों में
ये लम्हा कही खो सा गया |
उंगलियों से लिखे वादों की तरह
तुम्हे पाने के नाकाम इरादों की तरह
मेरी अधूरी ख्वाहिशों की तरह
तुम्हारे बेबाक जज़्बातों की तरह
ये लम्हा भी कही खो सा गया|
तुमपे खर्च किये हर लम्हे की तरह
ये लम्हा भी कही खो सा गया |
ये लम्हा भी कही खो सा गया |

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