तू चल अकेला
तू अकेला ही चल मुसाफिर
क्यों ढूंढे तू हमसफ़र
वक़्त के साथ बदलते सब
नकली चेहरे पहनते सब
और कितने घाव लगेंगे तुझे
पीठ में छुरा भोंकते सब
क्यू लम्हा लम्हा मरना मुसाफिर
तू अकेला ही चल मुसाफिर |
तेरी अपनी है मंज़िलें
तेरी अपनी है ख्वाहिशें
थोड़ा खुद के लिए जी ले मुसाफिर
न थामेंगे तेरा हाथ कभी वो
तूने जिनके लिए वक़्त थाम दिया है
बस दो कदम के साथी है सब
बार बार क्यों दिल दुखाना मुसाफिर
तू अकेला ही चल मुसाफिर |
~ मुसाफिर

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