गर तू मुझे पहले मिला होता
ज़िंदगी से ना कोई गिला होता
गर तू मुझे पहले मिला होता
सहरा में एक गुल खिला होता
गर तू मुझे पहले मिला होता ।
तलाशें लम्हे मैंने उम्र भर,
फाँके सन्नाटे मैंने उम्र भर
ना समझा कोई मुझे,
ज़ाया किए लफ़्ज़ मैंने उम्र भर
एक हमसफ़र, हमज़ुबान मिला होता
गर तू मुझे पहले मिला होता
ज़िंदगी से ना कोई गिला होता
गर तू मुझे पहले मिला होता ।
तूने आने में बहुत देर कर दी
इंतज़ार किया मैंने बरसो
फिर वक़्त ने लकीरें फेर दी
नसीब ना मेरा यूँ रूठा होता
गर तू मुझे पहले मिला होता
ज़िंदगी से ना कोई गिला होता
गर तू मुझे पहले मिला होता ।
तुझे पाया भी नही, खोया भी नही
तुझे रोका भी नही, भुलाया भी नही
अजीब सा है ये रिश्ता हमारा
तू अपना भी नही, पराया भी नही
इस रिश्ते को एक नाम मिला होता
गर तू मुझे पहले मिला होता
ज़िंदगी से ना कोई गिला होता
गर तू मुझे पहले मिला होता ।

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