खोज
मिले नही जो कभी, वो जवाब ढूँढता हूँ
खो गए थे जो कभी, वो ख़्वाब ढूँढता हूँ
अनजान चेहरों में कोई अपना ढूँढता हूँ
बेजान पहरों में कोई सपना ढूँढता हूँ ।
तेरी याद में लिखे फ़साने ढूँढता हूँ
ख़ामोशी में दबी ज़बाने ढूँढता हूँ
तेरे साथ गुज़ारे ज़माने ढूँढता हूँ
सिसकियों में दबे तराने ढूँढता हूँ ।
ज़िंदगी में, दिलचस्प अफ़साने ढूँढता हूँ
तकलीफ़ों में, सुकून के ठिकाने ढूँढता हूँ
खुदा से रूबरू होने के, मै बहाने ढूँढता हूँ
'मुसाफ़िर' हूँ, मैं कहाँ आशियाने ढूँढता हूँ ।
~'मुसाफ़िर

मुसाफिर हूं, कहां मैं आशियाने ढूंढ़ता हूं. .. . बेहतरीन!!
ReplyDelete