जुबान है कि नहीं. .. .



न बोलता है, न ही कुछ बात करता है,
ज़रा देखो तो सही, जुबान है कि नहीं. .. .

अपनी ही धुन में बस चला जा रहा है,
पुकारने को कोई नाम है कि नहीं. .. .

रुसवाईयां लेकर भी जिंदा है अब तलक,
ज़िन्दगी में सुकून की शाम है कि नहीं. .. .

हर बार तोड़कर बस बिखेरा ही है,
इस जमाने में ईमान है कि नहीं. .. .

राह चलता रहा, मंजिले न मिली,
इस दौर का कोई अंजाम है कि नहीं. .. .

कब तलक यूं ठोकरें ही मिलती रहेंगी,
इसकी किस्मत में आराम है कि नहीं. .. .

बिगड़ैल सा, कुछ तो बेशर्म भी है,
आवारा है क्या, काम है कि नहीं. .. .

इतने पत्थर हैं खाए पर उफ्फ नहीं करता,
कोई नब्ज तो टटोलो, जान है कि नहीं. .. .

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