तुम्हारा नाम आया
जब जब भेजे संदेसे दिल से
हर ख़त पे तुम्हारा नाम आया
जब जब छिड़ी हमारी दास्ताँ
हर लब पे तुम्हारा नाम आया ।
जाने वाले कब है वापस लौटे
हमने ख़ुद को बहुत समझाया
हर ख़त पे तुम्हारा नाम आया
जब जब छिड़ी हमारी दास्ताँ
हर लब पे तुम्हारा नाम आया ।
जाने वाले कब है वापस लौटे
हमने ख़ुद को बहुत समझाया
लिखी जब फ़ेहरिस्त हसरतों की
सबसे पहला तुम्हारा नाम आया ।
मोल भाव का हुनर ना था कभी
क्या ख़ूब सौदा किया ये भी
तुमको दे कर सारी ज़िंदगी
बदले में तुम्हारा नाम पाया ।
एक नाम ही भुलाना था ‘मुसाफ़िर’
कोई तरीक़ा ना काम आया
कल रात महफ़िल में, फिर
ज़ुबान पे तुम्हारा नाम आया ।
ज़ुबान पे तुम्हारा नाम आया ।

खूबसूरत. .. .
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